खून चढ़ाने से पहले पूछें, जरूरत भी है क्‍या?

खून चढ़ाने से पहले पूछें, जरूरत भी है क्‍या?

डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल

आरबीसी यानी लाल रक्‍त कोशिकाओं का ट्रांसफ्यूजन अब अमेरिका के अस्‍पतालों में तेजी से घट रहा है। दूसरे शब्‍दों में कहें तो अमेरिका के अस्‍पतालों में अब मरीजों को खून चढ़ाने की जरूरत कम पड़ रही है। हालांकि पिछले दो दशकों में वहां खून चढ़ाने के मामले लगातार बढ़ रहे थे जबकि साल 2011 से 2014 तक इसमें जोरदार कमी देखने में आई है।

यह कमी पुरुष-स्‍त्री, हर नस्‍ल, हर तरह के जोखिम वाले मरीजों में देखने में आई है और इस बारे में एक विस्‍तृत जनसंख्‍या आधारित रिपोर्ट वहां प्रकाशित हुई है। यही नहीं वहां अधिकाधिक अस्‍पतालों में खून चढ़ाने से रोकने के लिए ब्‍लड मैनेजमेंट प्रोग्राम शुरू किए गए हैं।

अगर हम खून चढ़ाने के मामले में आई गिरावट का जिक्र करें तो साल 2011 में अस्‍पताल में भर्ती 6.8 फीसदी मरीजों को आरबीसी चढ़ाने की जरूरत पड़ती थी जो कि 2014 में घटकर 5.7 फीसदी रह गई। इसी प्रकार ऐसे मरीज जिन्‍हें प्‍लाज्‍मा चढ़ाने की जरूरत पड़ती थी उनकी संख्‍या 2011 के एक फीसदी से घटकर 2014 में .87 फीसदी रह गई।  

गौरतलब है कि इंसानी रक्‍त को ड्रग्‍स एवं कॉस्‍मेटिक एक्‍ट के सेक्‍सन 2(बी) के तहत दवा की श्रेणी में रखा गया है। पूरी दुनिया में आज दवा के कम से कम इस्‍तेमाल का अभियान चल रहा है और जब हम दवा की बात करते हैं तो स्‍वाभाविक रूप से इसमें रक्‍त और उसके सारे अवयव भी शामिल होते हैं। यानी खून चढ़ाने से बचने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।

हम ऐसा कैसे कर सकते हैं? बहुत सामान्‍य से तरीकों के जरिये ऐसा किया जा सकता है। सबसे पहले तो, खून सिर्फ तभी चढ़ाया जाना चाहिए जब इसकी सही में जरूरत हो। यदि किसी मरीज को सिर्फ एक ही यूनिट खून चढ़ाने से काम चल सकता है तो वास्‍तव में उसे खून नहीं चढ़ाना चाहिए बल्कि उसके दूसरे विकल्‍पों मसलन आयरन के सप्‍लीमेंट से काम चलाना चाहिए।

यदि किसी मरीज को दो यूनिट खून की जरूरत है तो उसे एक ही यूनिट खून चढ़ाया जाना चाहिए। यदि किसी मरीज में हेमोग्‍लोबिन का स्‍तर 7 से ऊपर है तो पहले उसे नसों के जरिये आयरन देना चाहिए। सभी इलेक्टिव सर्जरीज से पहले मरीज को नसों के जरिये आयरन दिया जाना चाहिए ताकि आपरेशन से पहले हेमोग्‍लोबिन का स्‍तर बढ़ाया जा सके। ऐसा नहीं करने का अर्थ सेवा में कमी के रूप में लिया जा सकता है। अस्‍पतालों का मानकीकरण करने वाली एजेंसी एनएबीएस को चाहिए कि वह किसी भी अस्‍पताल को प्रमाणपत्र देने से पहले ब्‍लड ट्रांसफ्यूजन की स्थिति को एक क्राइटेरिया के रूप में शामिल करे। इससे अस्‍पतालों में अनावश्‍यक रूप से खून चढ़ाने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी।

बात सीधी सी है। यदि अमेरिका के अस्‍पताल खून चढ़ाने मामले में कमी ला सकते हैं तो हम ऐसा क्‍यों नहीं कर सकते?

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